पल्लवी मेश्राम उपसंपादक नागपूर
महाराष्ट्र संदेश न्युज ! ऑनलाईन नागपूर:- युग प्रवर्तक महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती जी के 200 वें जन्मोत्सव एवं बोधोत्सव पर्व पर आर्य समाज दयानंद भवन सदर में यज्ञ चिकित्सा एवं प्रशिक्षण का आयोजन 23 से 26 फरवरी 2025 तक किया गया जिसमें पर्यावरण एवं यज्ञ विशेषज्ञ डॉ. कमल नारायण वेदाचार्य जी रायपुर द्वारा रचित “यज्ञोपैथी” में वर्णित वेद मंत्रों से यज्ञ के ब्रह्मा पं. शिवकुमार आर्य नागपुर ने विशेष जड़ी बूटियों एवं औषधीय से रोग निवारक यज्ञ संपन्न करवाया। यज्ञ के समापन पर सभी यजमानों को यज्ञोपैथी एवं महर्षि दयानंद सरस्वती की जीवनी यह दो पुस्तकें आर्य समाज की ओर से सप्रेम भेंट दी गई।
दिनांक 23 फरवरी 2025 को हृदय रोग निवारक औषधियां अर्जुन छाल, पुष्कर मूल, जटामांसी, दशमूल, गो घृत की आहुतियां देकर यज्ञ संपन्न कराया गया।
दिनांक 24 फरवरी 2025 को रक्तज रोग निवारक औषधियों गूगल, गंधक, सुहागा, मीठी नीम पत्ती, चमेली के पत्ते आदि औषधीयों से आहुति देकर यज्ञ संपन्न कराया गया। दिनांक 25 फरवरी 2025 को कांस (खांसी) निवारक औषधियों लोबान, बच, राल, हल्दी, कटेरी अडूसा पुनर्नवा शहद की आहुतियां देखकर यज्ञ संपन्न कराया गया.
दिनांक 26 फरवरी 2025 तक्मा ज्वर निवारक औषधियों गुग्गुल, छोटी हरड़ कूठ, जौ, बच, सफेद सरसों, तुलसी पत्र, चिरायता, गिलोय, जायफल, मुलेठी, लौन्ग, ब्राह्मी आदि औषधीय के आहुति देकर यज्ञ संपन्न करवाया गया। जिन्हें वात रोग था उन्हें अलग हवन कुंड पर वात रोग निवारक औषधीयों अमलतास के पत्ते, हरड, सहजन, सरसों तेल, एरंड तेल, अजश्रृंगी, गोघृत, गुड़, कटेरी फल आदि औषधीयों से यज्ञ संपन्न करवाया गया। साथ ही साथ सभी को यह संदेश दिया गया कि पर्यावरण प्रदूषण निवारक, आरोग्य दायक, सुख संपदा युक्त करने वाला श्रेष्ठतम कम यज्ञ प्रतिदिन करें करायें।
पानीपत से पधारे आचार्य सानंद जी ने दिनांक 23 फरवरी 2025 को ईश्वर को कैसे जाना जा सकता है कौन ईश्वर को प्रमाणिक तौर पर बताता है और और वेद ही ईश्वर की वाणी होने के कारण सबसे पहले मनुष्य को मिलने के कारण ईश्वर के बारे में आधिकारिक तौर पर बताने ने की पात्रता रखता है इसलिए मनुष्य द्वारा बताए हुए ईश्वर को छोड़कर के ईश्वर द्वारा स्वयं अपने बारे में जो वेदों में कहा गया है उसको जानना और मानना आवश्यक है ऐसा प्रतिपादित किया।
सिद्धांत के 24 फरवरी को आचार्य आनंद जी ने यजुर्वेद के 40 में अध्याय के मंत्र का प्रमाण देते हुए ईश्वर निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनंत, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वांतर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र और सृष्टि कर्ता है ऐसे ईश्वर की ही उपासना करनी योग्य है। यह उत्तम रीति से स्थापित किया।
दिनांक 25 फरवरी 2025 को अथर्ववेद के मंत्र से परिवार में माता-पिता और पुत्र ने किस तरह का आचरण करना चाहिए यह बात उत्तम रीति से समझाई। वेद में परमात्मा कहता है की पिता ने व्रती होना चाहिए और पुत्र ने पिता का अनुसरण करने वाला अनुव्रती होना चाहिए। पुत्र ने माता के मन के अनुसार कार्य करना चाहिए। बच्चों की माता ने अपने पति के साथ अत्यंत मधुर वाणी में वार्तालाप करना चाहिए ऐसी वाणी बोलना चाहिए जिससे शांति की स्थापना होवे।
दिनांक 26 फरवरी 2025 को आचार्य जी ने शिवरात्रि के अवसर पर समस्त उपस्थित जनों को शिव के महत्व को समझाया शिव के स्वरूप में जो जो वर्णित है उसका अर्थ बताया और कहा की सभी को शिव की पूजा अर्थात जैसा शिव है वैसा सारे संसार का कल्याण करने वाला बनना चाहिए जब तक आप सब का कल्याण करने की इच्छा और प्रयत्न नहीं करते तब तक आप शिव के भक्त हो ही नहीं सकते ऐसा आचार्य जी ने कहा।
आर्य समाज दयानंद भवन सदर के पदाधिकारीयों ने आचार्य जी एवं भजनोंपदेशक अजय आर्य व उनके सहयोगी का दक्षिणा व श्रीफल द्वारा सत्कार किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन श्रीप्रकाश एवं डॉ. धनलाल शेंद्रे द्वारा किया गया। आर्य समाज के प्रधान प्रभात नायक द्वारा आमंत्रित विद्वानों विभिन्न कार्यकर्ताओं कार्यक्रम में मदद करने वाले उपप्रधान दिलीप देशपांडे, कोषाध्यक्ष रितेश सोनी, उपमंत्री नरेश भोरकर, आचार्य नरेंद्र आर्य, राहुल गड्डमवार, साधना देशपांडे, किरण सोनी, आशा खंडेलवाल, अमृता शेंद्रे, पुष्पा शेंद्रे आदि समस्त व्यक्तियों और संस्थाओं तथा कार्यक्रम में पधारे श्रोताओं का हार्दिक धन्यवाद देकर सत्कार किया गया।